अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका और फायदे| Ardha Matsyendrasana Steps and Benefits in Hindi

अर्धमत्स्येंद्रासन, फ़ायदे, लाभ, करने का तरीका, विधि (Ardha Matsyendrasana steps and Benefits contraindications of Ardha matsyendrasana In Hindi)

अर्ध मत्स्येंद्रासन – Ardha Matsyendrasana in Hindi

अर्धमत्स्येंद्रासन संस्कृत के 3 शब्दों के मेल से बना है: अर्ध, मत्स्य और इंद्र। अर्ध का मतलब ‘आधा’ मत्स्य का मतलब ‘मछली’ और इंद्र का मतलब ‘भगवान’ होता है। इस आसन को हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोज भी कहा जाता है। इस आसन का नाम योगी मत्स्येंद्र नाथ के नाम पर रखा गया है क्योंकि यह उनका पसंदीदा आसन था। इस आसन को हम वक्रासन के नाम से भी जानते हैं।

इस लेख में हम अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका उससे होने वाले फायदे और सावधानियों के बारे में बताया गया है। साथ ही साथ यह आसन करते हुए एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसे देखना ना भूलें।

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अर्ध मत्स्येंद्रासन के फायदे – Ardha Matsyendrasana Benefits in Hindi

अर्धमत्स्येंद्रासन एक बेहतरीन आसन है जिसके कई प्रकार के लाभ हैं जो हम नीचे बता रहे हैं..

शरीर लचीला बनता है-

इस आसन के नियमित रूप से अभ्यास करने पर शरीर लचीला (flexible) बनता है जिससे शरीर की कार्यकुशलता में सुधार होता है। विशेष रूप से रीड की हड्डी और कूल्हे लचीले बनते हैं। क्या आसन कंधे और गर्दन के दर्द के लिए भी फायदेमंद होता है।

मजबूत मांसपेशियां-

इस आसन का अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती है विशेष रुप से पेट के एब्स का एक्सरसाइज हो जाता है।

वजन कम करने में-

मत्स्येंद्रासन का अभ्यास करने से पेट की जमी चर्बी कम करने में मदद मिलती है। इसका अभ्यास करते वक्त कुछ ज्यादा वक्त के लिए मेंटेन किया जाए तो पेट की चर्बी को गलाने में रामबाण साबित हो सकता है।

कमर और रीढ़ की हड्डी-

इस आसन के अभ्यास कमर और रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है साथ ही साथ उसके दर्द में भी आराम मिलता है।  कमर और पीठ दर्द से जूझ रहे लोगों को इस आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।

पेट की समस्या में-

प्रतिदिन सुबह में इसका अभ्यास करने से शरीर में जमा कचरा बाहर निकलता है और पाचन क्रिया मजबूत बनती है और भोजन आसानी से पचता है। पेट की और भी समस्याओं जैसे गैस, एसिडिटी, अपच  और कब्ज में भी राहत मिलती है। खाने के बाद पेट में जो भारीपन होता था इसके अभ्यास करने के बाद वह भारीपन की समस्या दूर हो जाएगी।

तनाव दूर करने में-

इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर के अंदर जमा टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं, तनाव और चिंता दूर होती है। जिससे शरीर की सुरक्षा होती है और असमय बीमारियां नहीं आती।

माहवारी में-

जिन महिलाओं को माहवारी की समस्या है उन्हें अर्धमत्स्येंद्रासन का रोजाना अभ्यास करना चाहिए।

मधुमेह में-

मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह आसन रामबाण है। यह आसन पेनक्रियाज को एक्टिव रखता है जिसे इंसुलिन बनाने में मदद मिलती है और इससे मधुमेह को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

 भूख लगने की समस्या-

इस आसन का सबसे बड़ा फायदा यह है की पेट के अंगों की अच्छे से मालिश हो जाती है। जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और भूख भी खुलकर लगती है।

 ऊर्जावान शरीर-

अर्धमत्स्येंद्रासन का नियमित अभ्यास से शरीर के अंदर की गर्मी बाहर निकलती है जिससे शरीर की कोशिकाएं अच्छे से एक्टिव हो जाती है। जिसे शरीर में एक अलग ही ऊर्जा का महसूस होता है।

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अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका – Ardha Matsyendrasana Steps in Hindi

यह आसन थोड़ा कठिन है इसलिए इसके सही तरीकों को जानकर ही इसका अभ्यास करना चाहिए। तो आइए जानते हैं अर्धमत्स्येंद्रासन करने का सही तरीका..

  • किसी खुले वातावरण में योगा मैट बिछाकर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब सांस को सामान्य रखते हुए शरीर को बिल्कुल सीधा रखें।
  • बाएं पैर को मोड़ते हुए दाएं घुटने के ऊपर से लाकर बाएं पैर को जमीन पर रखें।
  • दाहिने पैर को मोड़े और पैर को बाएं नितंब के पास लाकर जमीन पर आराम से रखें।
  • इसके बाद बाएं पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएं और बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करें।
  • अब जितना संभव हो सके धड़ को मोड़े, और गर्दन को भी बाएं कंधे की तरफ मोड़ें।
  • बाएं हाथ को जमीन पर टीका के रखें और सांस की गति सामान्य रखें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार 30 से 40 सेकंड तक इस मुद्रा में बने रहें।
  • अब आप अर्धमत्स्येंद्रासन की मुद्रा में है, इस मुद्रा से बाहर निकलने के लिए वापस दंडासन की मुद्रा में बैठ जाए।
  • और इस क्रिया को आप दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

अर्धमत्स्येंद्रासन से पहले करने वाले आसन

वीरासन
वज्रासन
बद्ध कोणासन
भारद्वाज आसन

अर्धमत्स्येंद्रासन के बाद करने वाले आसन

पश्चिमोत्तानासन
जानुशीर्षासन
भुजंगासन

अर्ध मत्स्येंद्रासन करने से पहले ध्यान देने वाली बातें

अर्ध मत्स्येंद्रासन तो क्या किसी भी आसन का अभ्यास सुबह में ही करना चाहिए तभी जाकर ज्यादा लाभ मिलता है। अगर किसी कारण बस आप सुबह अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं तो शाम के वक्त भी कर सकते हैं। लेकिन इसका अभ्यास शुरू करने से पहले आपका पेट खाली होना चाहिए अर्थात इस आसन को करने से 4 से 5 घंटे पहले ही आपने भोजन कर लिया हो ताकि भोजन आसानी से पच जाए और अभ्यास करने में कोई परेशानी ना हो। और किसी भी योगासन का अभ्यास करने के 2 घंटे के बाद ही भोजन करना चाहिए।

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अर्ध मत्स्येंद्रासन करते वक्त सावधानियांContraindications of Ardha Matsyendrasana In Hindi

किसी भी आसन का अभ्यास करने से पहले कुछ सावधानियों के बारे में जान लेना अति आवश्यक है जो हम नीचे बता रहे हैं..

  • गर्भवती महिला को या मासिक धर्म के दौरान इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • अगर जरूरत से ज्यादा कमर दर्द या पीठ में दर्द हो तो इसका अभ्यास न करें।
  • रीड की हड्डी में चोट की समस्या हो तो भी इसका अभ्यास ना करें।
  • हर्निया और अल्सर से पीड़ित व्यक्ति को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • अगर स्लिप डिस्क की समस्या हो तो किसी योग चिकित्सक के परामर्श के बाद ही इसका अभ्यास करें।
  • जिनके दिल, पेट या कंधे में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन हुआ हो तो उनको भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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अर्ध मत्स्येंद्रासन का वीडियो – Ardha Matsyendrasana Video in Hindi

Ardha Matsyendrasana ke labh

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