बद्ध पद्मासन(Baddha Padmasana) संस्कृत शब्द के तीन शब्दों से मिलकर बना है बद्ध + पद्म+आसन | जिसमें बद्ध का अर्थ होता है बढ़ा हुआ, पद्म का अर्थ है, कमल का फूल तथा आसन का अर्थ, बैठना होता है।
इसको अंग्रेजी में bounded lotus pose भी कहा जाता है। इस आसन को आप तभी कर पाएंगे जब आप पद्मासन की मुद्रा में पारंगत हो।यह पद्मासन की उन्नत अवस्था को दर्शाता है इसलिए जब आप पद्मासन में महारथ हासिल कर लेंगे तभी इसको सरलता पूर्वक कर सकते हैं।
बद्ध पद्मासन एक ध्यान है जो शरीर व मानसिक स्थिरता बनाए रखता है जिससे हमारा मन शांत रहता हैं, तथा ये योगाभ्यास मन को ध्यान (Meditation) करने के लिए फिट बनाता हैं। ध्यान रहे जबरदस्ती करने पर आपको हानि पहुंच सकता है क्योकि यह एक एडवांस मुद्रा है इसलिए शुरुआत में जितना संभव हो उतना ही अभ्यास करे ।
इस लेख में बद्धपद्मासन करने का तरीका और फायदों को विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है साथ ही बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया है।
बद्ध पद्मासन करने का तरीका – Baddha Padmasana Steps in Hindi
सबसे पहले पैरों को सामने की तरफ फैला कर दंडासन में बैठ जाएं तथा श्वास अंदर लेते हुए शरीर व रीढ़ की हड्डी को सीधा करें अब गहरी श्वास भरते हुए दाएं पैर को उठाकर बाएं जांघ पर तथा बाएं पैर को दाएं जंघा पर रखें। अब दोनों हाथों को पीछे ले जाएं तथा बाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ ले तथा दाएं हाथ से दाएं पैर का।
अब श्वास लेते व छोड़ते रहे। अब आप बिल्कुल बद्ध पद्मासन की मुद्रा में है। बद्ध पद्मासन(Baddha Padmasana) में अपनी रीढ़ की हड्डी (backbone) व सिर(head) को सीधा रखें तथा श्वास की क्रिया को सामान्य रखें। इसके बाद अपने हाथों को छोड़कर पैरों के लॉक को खोलें तथा धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

बद्ध पद्मासन के 10 फायदे – Baddha Padmasana Benefits in Hindi
- बद्ध पद्मासन करने से घुटनों और कूल्हों पर जोर पड़ता है जिससे पैर लचीले और मजबूत बनते है।
- कंधों, कलाइयों , पीठ व कोहनियो में खिंचाव आता है जिससे वे मजबूत होते है।
- पाचन तंत्र को अच्छा करता है जिससे भूख भी खुलकर लगती है।
- इस आसन से सिरदर्द व माइग्रेन से छुटकारा मिलता है।
- इसके नियमित अभ्यास से गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
- मोटापे को दूर करता है।
- मेरुदंड की समस्याओ से राहत मिलती है और रीढ़ की नसों में रक्त परिसंचरण बढ़ता है।
- इसके नित्य अभ्यास से प्रजनन छमता सही होती है व गुप्त रोगो से निजात मिलती है।
- दिमाग शांत तथा स्मरण शक्ति प्रखर होती है।
- यह मणिपुर चक्र को प्रभावित करता है तथा चेहरे को तेजस्वी बनता है।
बद्ध पद्मासन करते समय सावधानियां – Baddha Padmasana Karte Samay Savdhaniya
- बद्ध पद्मासन(bounded lotus pose) का अभ्यास करते वक्त पेट खाली और साफ होना चाहिए।
- जिनके घुटनो में दर्द या सर्जरी हुई हो तो वे लोग ये आसन न करें।
- कंधों में चोट, दर्द या किसी भी प्रकार का विकार है तो इसका अभ्यास बिल्कुल भी ना करें।
- गर्भवती महिलाओं को इसका अभ्यास नहीं करें।
- पैर में चोट या मोच होने पर इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- अपनी शारीरिक क्षमता से ज्यादा जोर देकर इसका अभ्यास ना करें।
बद्ध पद्मासन से पहले करने वाले आसन – Baddha Padmasana se Pahle Karne Wale Asana
दंडासन, पद्मासन, उर्ध्व पद्मासन, पिंडासन
बद्ध पद्मासन के बाद करने वाले आसन – Baddha Padmasana ke Bad Karne Wale Asana
बद्ध पद्मासन का वीडियो – Baddha Padmasana Video in Hindi
FAQ
बद्ध पद्मासन कैसे करें?
सबसे पहले पैरों को सामने फैला कर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं तथा श्वास अंदर भरते हुए शरीर व रीढ़ की हड्डी को सीधा करें अब गहरी श्वास भरते हुए दाएं पैर को उठाकर बाएं जांघ पर तथा बाएं पैर को दाएं जंघा पर रखें। अब दोनों हाथों को पीछे ले जाएं और बाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ ले तथा दाएं हाथ से दाएं पैर का। अब श्वास लेते और छोड़ते रहे। अब आप बिल्कुल बद्ध पद्मासन की मुद्रा में है।
बद्ध पद्मासन के फायदे क्या है?
इसके अभ्यास से घुटनों और कूल्हों पर जोर पड़ता है जिससे पैर लचीले और मजबूत बनते है।
कंधों, कलाइयों , पीठ व कोहनियो में खिंचाव आता है जिससे वे मजबूत बनते है।
पाचन तंत्र मजबूत बनता है जिससे भूख भी खुलकर लगती है।
इस आसन के अभ्यास से सिरदर्द व माइग्रेन से छुटकारा मिलता है।
बढ़ा पद्मासन के नियमित अभ्यास से गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
मेरुदंड की समस्याओ से राहत मिलती है और रीढ़ की नसों में रक्त परिसंचरण बढ़ता है।
इसके नियमित अभ्यास से प्रजनन छमता सही होती है व गुप्त रोगो से निजात मिलती