भ्रामरी प्राणायाम क्या है – What is Bhramari Pranayama in Hindi
भ्रामरी संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है एक प्रकार की काली मधुमक्खी। भ्रामरी प्राणायाम(Humming Bee Breathing) का नाम एक भ्रामरी मधुमक्खी के नाम पर पड़ा है। यह भारत में पाई जाने वाली काले प्रजाति की मधुमक्खी(भौरा) है।
इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय मधुमक्खी के आवाज़ जैसे गुनगुनाने वाली ध्वनि उत्पन्न होती है। इस प्राणायाम के अभ्यास से तुरंत ही मन शांत हो जाता है और क्रोध, चिंता दूर हो जाती है। यह एक ऐसी क्रिया है जिसे आप कहीं भी बैठकर कर सकते हैं।
आइए इस लेख में भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका, लाभ व सावधानियों के बारे में जानते हैं। इस प्रणायाम का वीडियो भी शामिल किया गया है जिसे अवश्य देखें..

भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें – Bhramari pranayama kaise Kare
- किसी खुले वातावरण में पद्मासन, सिद्धासन या किसी भी आरामदायक अवस्था में बैठ जाएं।
- आंखें बंद कर ले और चेहरे पर मुस्कान को बनाए रखें।
- अब अपने हाथों के दोनों अंगूठे से दोनों कानों को बंद कर ले।
- इसके बाद तर्जनी अंगुली को माथे पर लगाएं और बाकी बची है उंगलियों से आंखें बंद कर ले।
- यह क्रिया इसलिए की जाती है ताकि आपको अभ्यास करते समय बाहर का ना तो कुछ सुनाई दे और ना ही दिखाई दे।
- अब अपने नाक से सामान्य गति से सांस को अंदर भरें। फिर मुंह से ओम का उच्चारण ऐसे करना है। जैसे लगे की मस्तिष्क में भंवरे की गुंजन हो रही हो।
- इसी प्रकार इस क्रिया को 5 से 6 बार दोहराएं।
- ध्यान रहे इसके बाद अपनी पहली स्थिति में आने से पहले आंखों को तुरंत नहीं खोलना है। नहीं तो कुछ देर के लिए आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है।
- पूरा अभ्यास करने के पश्चात आपस में हथेलियों को तब तक रगड़े जब तक हल्का गर्म ना हो जाए। इसके बाद हथेलियों से चेहरे को सेके। विश्वास मानिए बहुत शांति व सुकून मिलेगा।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ – Bhramari Pranayama ke Fayde
- इसका सबसे बड़ा फायदा है कि मन को शांति मिलती है। जिससे क्रोध और चिंता जैसी चीजें दूर हो जाती हैं।
- सिर में दर्द हो तो इसका अभ्यास करने से कुछ ही देर में दर्द से आराम मिल जाता है।
- एकाग्रता और याददाश्त बढ़ाने में प्रभावकारी है।
- अगर आप हमेशा डिप्रेशन में रहते हैं तो आपके लिए यह रामबाण का काम करेगा।
- विद्यार्थियों के लिए यह प्राणायाम विशेष रूप से लाभकारी है।
- इसके अभ्यास से मस्तिष्क से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- उच्च रक्त चाप वाले इसका अभ्यास धीरे-धीरे कर सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय सावधानियां – Bhramari Pranayama karte samay savdhaniya
- भ्रमरी प्राणायाम का अभ्यास खाली पेट ही करें।
- कान में दर्द या किसी भी प्रकार की समस्या हो तो अभ्यास ना करें।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को सांस तेजी से नहीं भरना है।
- ध्यान रहे कानों और आंखों को ज्यादा तेज नहीं दबाना है।
भ्रामरी प्राणायाम का वीडियो – Bhramari pranayama ka video
Bhramari pranayama Benefits in hindi