गूलर खाने के फायदे | Gular Khane Ke Fayde In Hindi

आपने एक कहावत सुनी होगी की जिसने गूलर का फूल (gular ka phool) देख लिया, उसका भाग्य चमक जाता है। और यह भी कहा जाता है कि गूलर का सेवन करने वाला वृद्ध भी युवा हो जाता है। आपने भी गूलर के फायदे से जुड़ी ऐसी कई कहानियां सुनी होंगी, लेकिन सच क्या है, शायद यह नहीं जानते होंगे। अगर आप गूलर से होने वाले लाभ के बारे में नहीं जानते हैं तो यह लेख आपके लिए है, क्योंकि गूलर का पेड़ या गूलर का फूल कोई साधारण पेड़ या फूल (gular flower) नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी भी है जो कई बीमारियों से आपको बचा भी सकती है।

गूलर क्या है – What is Gular in Hindi

गूलर के पेड़ और इसके फल में अनेक औषधीय गुण होते हैं। इसलिए इसके पेड़ को बोलचाल की भाषा में ‘हकीम सरदार’ भी कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार रक्तस्राव रोकने मूत्र रोग डायबिटीज और शरीर की जलन में शुगर की छाल और उसके फल बहुत उपयोगी होते हैं।

हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में गूलर के पेड़ को जंतुफल या सदाफल आदि के नामों से जाना जाता है। इसके तने या डाल में किसी भी स्थान पर चीरा लगाने से सफेद दूध निकलने लगता है। गूलर के फलों में बहुत सारे कीड़े होने के कारण ही इसे जंतु फल कहा जाता है। और 12 महीने फल देने के कारण किसे सदाफल कहा जाता है।
गूलर का फूल(Gular Ka Phool), गूलर के फल के अंदर ही होता है। फल के अंदर रहने वाले गुल के फूल को नर और मादा फूल कहते हैं।

गूलर का फल – Gular Ka Fal

गूलर फाइकस परिवार का एक विशाल वृक्ष है। इसके फल अंजीर की भांति होते हैं। इसके फल तने पर गुच्छे के रूप में लगते हैं। फल में कीट-पतंगे भी रहते हैं। इस कारण इसे जंतुफल भी कहा जाता है। पूरे 12 महीने फल देने के कारण इसको सदाफल भी कहा जाता है। इसकी गिनती अंजीर प्रजाति में की जाती है। इसका फल कई बीमारियों से बचाने में लाभकारी होता है।

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गूलर के फायदे – Gular Ke Fayde

Gular Ke Fayde
Gular Ke Fal Khane Ke Fayde

आयुर्वेद में गूलर को औषधि का खजाना माना गया है। जिसमें नेत्र रोग, मधुमेह, मूत्र विकार और डायरिया सहित कई प्रमुख रोगों की अचूक दवा बनती है।

  • गूलर के पेड़ से निकला दूध बवासीर, मुंह के अल्सर और घाव सुखाने में लाभदायक होता है।
  • गूलर का फल ल्यूकोरिया, रक्त विकार, त्वचा विकार, और शारीरिक कमजोरी दूर करने में उपयोगी होता है।
  • निमोनिया होने पर, गूलर के फल को पानी के साथ मिलाएं और इसे काढ़ा बनाकर निमोनिया के रोगी को पिलाएं। इससे निमोनिया के रोगी को काफी राहत मिलती है।
  • गूलर चेचक के उपचार में भी काफी काम आता है।
  • पेड़ का तना, पत्ती, फल व दूध सभी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई नियमित तौर पर 1 वर्ष तक इसका फल खाए तो उसको नेत्र रोग की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • पीरियड के दौरान अधिक ब्लीडिंग होने पर महिलाओं को गूलर के पके फलों के रस में शहद मिलाकर पीने से खून का बहाव रुक जाता है।
  • गूलर के पके फल का रस 20 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ खाने से मुंह से खून आना बंद हो जाता है।

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गूलर के कुछ अन्य फ़ायदे – Some Benefits of Gular Tree

गूलर के सेवन से दस्त में लाभ-

4 से 5 बूंद गूलर के दूध को बताशे में डालकर दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में लाभ होता है। गूलर के जड़ के चूर्ण को गूलर के फल के साथ सेवन करने से पेचिश और दस्त दोनों ठीक होता है।

गूलर के दूध से मूत्र रोग में लाभ-

  • रोज सुबह खाली पेट गूलर के 2-2 पके फल सेवन करने से पेशाब की समस्या ठीक हो जाती है और पेशाब खुलकर आने लगता है।
  • 4 से 5 बूंद गूलर के दूध को बतासे में डालकर दिन में तीन बार सेवन करने से मूत्र संबंधी रोगों में लाभ होता है।

गूलर से ल्यूकोरिया (प्रदर) रोग का इलाज-

  • 5 से 10 ग्राम गूलर के रस को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से सफेद पानी या ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
  • अगर इसी मिश्रण में शहद मिलाकर पिए तो मासिक धर्म से संबंधित समस्या दूर हो जाती है।

गूलर से चेचक का इलाज

गूलर के पत्तों पर जो फफोले या दाने जैसे होते हैं उन्हें पत्तों से निकालकर गाय के दूध में पीस कर छान ले। इसमें शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से चेचक में काफी लाभ मिलता है।

मुंह के अल्सर में गूलर के फायदे-

गूलर की छाल से बने 250ml काढ़ा में 3 ग्राम कत्था और 1 ग्राम फिटकरी अच्छे से मिला ले। इसका कुल्ला करने से मुंह के अल्सर में काफी राहत मिलती है।

गूलर के दूध से बवासीर का इलाज

  • गूलर के दूध के 10 से 15 बूँदों को जल में मिलाकर उपयोग करने से खूनी बवासीर और रक्त विकार में लाभ मिलता है।
  • गूलर के दूधों को मस्सो पर लेप करना चाहिए इससे काफी लाभ मिलता है।
  • गूलर के दूध में रुई का फाहा भगंदर के अंदर रखने से भगंदर कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन ध्यान रहे इसे रोज बदलना जरूरी है।

गूलर से डायबिटीज का इलाज

इसमें गूलर के फलों को सूखे छिलके को महीन पीसना है और इसे बराबर मात्रा में मिश्री में मिला लेना है। 6-6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेने से डायबिटीज ठीक हो जाती है।

घाव सूखने में गूलर के फूल का उपयोग

  • गूलर में गहरे से गहरे घाव को ठीक करने की क्षमता है। गूलर के दूध में रुई भिगोकर गहरे जख्म पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है।
  • गूलर के फल के काढ़ा में 3 ग्राम कत्था और 1 ग्राम कपूर मिला ले। इस गुनगुने काढ़े से लिंग को धोने से जख्म के अंदर का मवाद आना बंद हो जाता है।

गूलर का इस्तेमाल कैसे करें? – How to Use Gular Tree in Hindi?

आप गूलर के फल(Gular Ka Fal) का उपयोग इस तरह से कर सकते हैं-

  • चूर्ण 3-5 ग्राम
  • दूध 4-6 बूंद

इतनी मात्रा को आपस में मिलाकर आप इसका सेवन कर सकते हैं।

पर्यावरण को शुद्ध करता है – Gular Purifies Environment

वनस्पति विज्ञान की प्रवक्ता डॉ सीमा महिंद्रा बताती है कि कोरोना काल में गूलर बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। दरअसल गूलर का पेड़ भरपूर ऑक्सीजन देता है। इसका फल एंटीवायरस, एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। साथ ही विषैले पदार्थों को शरीर से निष्कासित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

कब लगाएं गूलर का पेड़ – When To Plant Sycamore Tree?

मानसून के मौसम में गूलर(Sycamore) का पौधा लगाया जाता है। इसी मौसम में नर्सरी अथवा जंगल से 3 या 4 इंच की डंडी (जिसे कलम कहते हैं) उसे रोपा जा सकता है। एक बार गूलर का पेड़ हो जाने पर इसकी लम्बाई 10 से 15 मीटर तक जाती है और इसकी उम्र 100 वर्ष तक चली जाती है। इसका पेड़ विशाल और घना होता है। गूलर पर इसके फल पुरे साल लगे रहते है।

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गूलर से नुकसान – Side Effects of Gular Tree in Hindi

  • गूलर का अधिक मात्रा में सेवन करने से बुखार भी आ सकता है।
  • पके हुए फलों को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए, क्‍योंकि इससे आंतों में कीड़ों हो जाते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।
Gular Tree Benefits in Hindi

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