जानु शीर्षासन, फ़ायदे, लाभ, करने का तरीका, विधि (Janu Sirsasana steps, Janu Shirshasana Steps and Benefits in Hindi, fayde, labh, Head to Knee Forward Pose Precautions, Hindi)
जानु शीर्षासन क्या है? – Janu Sirsasana Yoga in Hindi?
जानु शीर्षासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है: जानु, शीर्ष और आसान। जिसमें पहला शब्द जानू का अर्थ घुटना, दूसरे शब्द शीर्ष का अर्थ सिर और तीसरे शब्द आसन का अर्थ बैठने की मुद्रा से होता है। जानु शीर्षासन को बिगिनर लेवल का आसन माना जाता है इस आसन के अभ्यास से अभ्यास स्वास्थ अच्छा रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है। अंग्रेजी में इसे Head to Knee Forward Pose कहते है।
इस लेख में हम जानू सिरसासन करने का तरीका, उससे होने वाले फायदे तथा सावधानियों के बारे में जानेंगे साथ ही साथ इस आसन को करते हुए एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसे देखना ना भूलें।

जानु शीर्षासन के फायदे – Janu Sirsasana Benefits in Hindi
जानु शीर्षासन के नियमित अभ्यास से कई तरह के लाभ(Janu Sirsasana ke Fayde) होते हैं जिनमें से कुछ यह है..
पाचन में सुधार
इस आसन में जब हम अपने हाथों से पैर की अंगुलियों को पकड़ते हैं तो पेट पर दबाव पड़ता है इस दबाव से पेट के अंदरूनी अंग उत्तेजित होने लगते हैं जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है।
पेट और पैर की मांसपेशियां मजबूत बनाएं
इसके नियमित अभ्यास से पैर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने मैं मदद मिलती है। इसके अभ्यास से पेट के समस्त रोग जैसे कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्या दूर हो जाती है।
मानसिक तनाव कम करें
आगे की ओर झुक कर किए जाने वाले सभी आसन दिमाग को शांत करते हैं और स्ट्रेस लेवल को कम करते हैं। आज के समाज में हर दूसरा व्यक्ति मानसिक तनाव से पीड़ित है। मानसिक तनाव से पीड़ित जानु शीर्षासन का अभ्यास नियमित रुप से कर सकते हैं इसे उनकी थकान, टेंशन और तनाव दूर होगा।
वजन कम करें
मोटापा कम करने के लिए जानू सिरसासन विशेष रूप से लाभदायक है। अगर आप अपने बड़े हुए वजन से परेशान हैं तो रोज सुबह खाली पेट इस आसन का अभ्यास जरूर करें। लेकिन अगर आप मोटे नहीं हैं फिर भी वजन को कंट्रोल रखना चाहते हैं तो भी इस आसन का अभ्यास नियमित रूप से करते रहे हैं जिससे आपका वजन नहीं बढ़ेगा।
शरीर का तापमान बढ़ाएं
जानु शीर्षासन का अभ्यास करने से शरीर का तापमान बढ़ने लगता है ठंड में तो इस आसन का अभ्यास विशेष रूप से करना चाहिए। शरीर का तापमान हमारे शरीर से ठंडी को कम करता है। अगर आप जानू सिरसासन का अभ्यास सही ढंग से करते हैं तो यह आपको बुखार होने से बचाता है। यानी जिस व्यक्ति को बार बार बुखार आने की समस्या हो उनको तो इस आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
साइटिका से राहत
बार-बार इस आसन का अभ्यास करने से नसों में ताजे खून की सप्लाई बढ़ जाती है। जिस व्यक्ति को नस से जुड़ी समस्या रहती हो तो उनको इस आसन का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

पीठ और पैरों के दर्द में आराम
जानुशीर्षासन के अभ्यास से पैरों और पीठ के दर्द में बहुत आराम मिलता है। इसके अभ्यास से पेट के निचले हिस्से और पैर के बाहरी हिस्से में दर्द को कम किया जा सकता है। अगर आप फिजिकली एक्टिव नहीं रहते तो इस वजह से आपके पैरों मैं दर्द की शिकायत हो सकती है। ऐसे में आप को नियमित रूप से जानू शीर्षासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
थायराइड की समस्या
आजकल महिलाओं में दिन-प्रतिदिन थायराइड की समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसे ठीक करने के लिए नियमित रूप से जानु शीर्षासन के का अभ्यास करें तथा साथ ही साथ अच्छे खानपान पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। थायराइड में इस आसन का अभ्यास करना बेहद फायदेमंद माना गया है।
दौड़ने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ
अगर आप खेल और दौड़ में रुचि रखते हैं तो यह सब आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इसका अभ्यास करने से बॉडी अच्छे से स्ट्रेच होती है जिसे रनिंग करने में मदद मिलती है।
प्रजनन क्रिया
इसके नियमित अभ्यास से प्रजनन प्रणाली के कार्य में सुधार होता है। इस आसन का अभ्यास करने से प्रजनन अंग उत्तेजित होते हैं जिसके कारण मासिक धर्म जैसी समस्या में काफी हद तक राहत मिलती है।
गर्भावस्था के दौरान
गर्भावस्था के दौरान इस आसन का अभ्यास करने से पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है लेकिन केवल दूसरे तिमाही के बाद इसका अभ्यास बंद कर दे।
शरीर में संतुलन बनाता है
इस आसन के अभ्यास से शरीर की कार्यप्रणाली सुधरती है। इसके अभ्यास से लोअर बैक का कठोर हिस्सा और कूल्हे में संतुलन बनने लगता है।
रक्त प्रवाह बढ़ता है
इसके नियमित अभ्यास से पेट के क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ता है और गुर्दे की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। प्लीहा और पित्त मूत्राशय मजबूत बनते हैं। यकृत और गुर्दे को उत्तेजित करता है। नए रक्त प्रवाह से फेफड़े और सीने के काम करने की क्षमता बढ़ जाती है।
जानुशीर्षासन करने का सही तरीका – Janu Shirshasana Karne ka Tarika
किसी भी आसन को करने का पूरा लाभ तभी मिलता है जब उसे सही तरीके से किया जाए। इस आसन को करने के लिए आपको सही तरीका पता होना जरूरी है। आइए जाने जानु शीर्षासन करने का सही तरीका

- सबसे पहले किसी शांत और साफ-सुथरी जगह पर योगा मैट में बिछाकर बैठ जाए।
- आप दोनों पैरों को सामने की तरफ करके सीधा बैठ जाएं।
- इस दौरान अपने हाथों को सीधा करें और जमीन पर रखें।
- रीढ़ की हड्डी कमर और गर्दन को बिल्कुल सीधा रखें।
- अब अपने दाएं पैर को मोड़कर उसके तलवे को बाएं पैर की जांघ के पास ले आए।
- अब दाएं पैर की एड़ी आपके गुप्तांग से सटी होनी चाहिए।
- अब सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं।
- अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथ से बाएं पैर की अंगुलियों को पकड़े।
- अपने सिर को बाएं पैर के घुटने पर रखने की कोशिश करें।
- इस दौरान आपके पैर मुड़ने नहीं चाहिए।
- इस स्थिति में अपनी क्षमता अनुसार 20 से 25 सेकंड तक बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- इसके बाद धीरे-धीरे अपनी पहली वाली अवस्था में आ जाए।
- पहले आपने इस आसन का अभ्यास दाया पैर मोड़कर किया था उसी प्रकार अब बाएं पैर से भी करना है।
जानु शीर्षासन करने से पहले ये आसन करे – Janu Sirsasana Se Pahle Karne Wale Aasan
दंडासन
पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
सूक्ष्म व्यायाम
जानु शीर्षासन के बाद वाले आसन – Janu Sirsasana Ke Bad Karne Wale Aasan
नवासन
कुर्मासन
शवासन
जानु शीर्षासन करने में सावधानी – Janu Sirsasana Precaution in Hindi
जानू शीर्षासन(Janu Sirsasana) का अभ्यास करने से पहले कुछ सावधानियों के बारे में जान लेना अति आवश्यक है। तो आइए जानते है बरती जाने वाली सावधानियां
- जिनके पैर में दर्द या किसी भी प्रकार की सर्जरी हुई है तो वे इस आसन का अभ्यास बिल्कुल ना करें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से बचें।
- हर्निया से पीड़ित व्यक्ति को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- पेट में किसी भी प्रकार का दर्द या आंतों में इन्फेक्शन हो तो भी इस आसन का अभ्यास ना करें।
- रीढ़ की हड्डी में चोट या किसी भी प्रकार की समस्या हो तो इसके अभ्यास करने से बचें।
- डायरिया या अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति भी इस आसन का अभ्यास ना करें।
जानु शीर्षासन का वीडियो – Janu Sirsasana Video Steps in Hindi
जानु शीर्षासन कैसे किया जाता है?
आप दोनों पैरों को सामने की तरफ फैला करके सीधा बैठ जाएं।
अपने दाएं पैर को मोड़कर उसके तलवे को बाएं पैर की जांघ के पास सटाए।
अब एड़ी आपके गुप्तांग से सटी होनी चाहिए।
अब सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथ से बाएं पैर की अंगुलियों को पकड़े।
अपने सिर को बाएं पैर के घुटने पर रखने की कोशिश करें।
इस दौरान पैर सीधे रहने चाहिए।
क्या है जानु शीर्षासन ?
जानु शीर्षासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है: जानु, शीर्ष और आसन। जिसमें पहला शब्द जानु का अर्थ घुटना, और दूसरे शब्द शीर्ष का अर्थ सिर और तीसरे शब्द आसन का अर्थ बैठने की मुद्रा है। जानु शीर्षासन को बिगिनर लेवल का आसन माना जाता है इस आसन के अभ्यास से स्वास्थ अच्छा रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
जानु शीर्षासन के फ़ायदे क्या है ?
पाचन में सुधार होता है।
पेट और पैर की मांसपेशियां मजबूत बनाएं।
मानसिक तनाव कम करें।
वजन कम करें।
शरीर का तापमान बढ़ाएं।
साइटिका से राहत।
पीठ और पैरों के दर्द में आराम।
थायराइड की समस्या दूर करे।
दौड़ने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
रक्त प्रवाह बढ़ता है।