पद्मासन(Padmasana) शब्द दो अलग शब्दों से मिलकर बना है। जिसका पहला शब्द है पद्म , जिसका मतलब कमल का फूल होता है जबकि दूसरा शब्द है आसन, जिसका मतलब बैठना होता है। अगर हम किसी योगी या ऋषि को देखेंगे तो वे हमेशा पद्मासन में बैठकर ही ध्यान लगते है।
इस आसन में बैठने पर हमारी मुद्रा कमल की भांति हो जाती है इस कारण इसे अंग्रेजी में लोटस पोज (lotus pose yoga) भी कहा जाता है।
इस योगासन का अभ्यास हर उम्र के सभी लोग कर सकते हैं। पौराणिक ग्रंथो में कहा गया है की यह बैठ कर किये जाने वाले असानो में सर्वश्रेष्ठ हैं। इसके फायदे की बात करें तो यह तनाव और चिंता को दूर करने, नींद को बेहतर करने, मन को शांत रखने और दिमाग में चल रहे नकरात्मक विचारों को दूर कर साकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है साथ ही यह अनेक विकारो को मिटा सकता है। इसके कई अन्य लाभ भी हैं। लेकिन पद्मासन के सभी फायदे आप तभी प्राप्त कर पाएंगे जब आपको पद्मासन करने का सही तरीका पता होगा इसलिए पद्मासन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में आगे पढ़े
पद्मासन करने की विधि – Padmasana Steps in Hindi
- सबसे पहले अपने पैरों तो सामने की ओर फैलाकर दण्डासन में बैठ जाए और स्वाँस अंदर लेते हुए अपनी गर्दन , रीढ़ की हड्डी व कमर को सीधी रखे।
- फिर स्वास भरते हुए दाहिनी घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर की जंघा पर रखें तथा यही क्रिया दोहराते हुए फिर बाये पैर को दाहिनी जंघा पर रखे।
- दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए किसी भी हस्त मुद्रा को अपना लें। अब आप बिलकुल पद्मासन में है।
- इस मुद्रा में बैठने पर पैरों पर खिंचाव आएगा इसलिए आप जितनी देर बैठ सकते है उतना ही देर बैठे।
- अब पुरे शरीर को सीधा करके गहरी स्वास लेते रहे।
पद्मासन करने के फायदे – Padmasana Benefits in Hindi
- एकाग्रता(Concentration) बढ़ाने व ध्यान केंद्रित करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ आसन है। विद्यार्थियों को एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह आसन सबसे उपयुक्त है।
- कुछ देर पद्मासन में बैठने पर पैरों में रक्त प्रवाह (Blood circulation) बढ़ जाता है।
- पद्मासन करने से घुटनों , कूल्हों व जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है।
- पैरों व घुटनों में खिंचाव आने से वे मजबूत बनते है।
- गर्भावस्था में रोज इस आसन के अभ्यास से प्रसव आसान हो जाती है।
- मासिक घर्म /माहवारी की परेशानियों को कम करता है।
- पद्मासन करने से पाचन क्रिया में सुधार आता है।
- यह जांघो व कूल्हों के पास की जमी चर्बी (Fat)को हटाता है।
- ग्रंथो में कहा गया है की यह सभी रोगो को नष्ट व् कुण्डिलिनी जागरण में सहायक होता है।
- यह रक्तचाप(Bloodpressure) को नियंत्रित करता है तथा किसी भी उम्र के व्यक्ति इस आसन को कर सकते है।
- पद्मासन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। इस आसन में बैठने से पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे पाचन शक्ति अच्छी बनी रहती है।

पद्मासन करते समय सावधानी – Padmasan Precaution in Hindi
- अगर घुटनो में दर्द(Knee Pain) या चोट हो तो , पद्मासन न करें।
- टखनों में भी चोट होने पर पद्मासन न करें।
- अगर हाल ही में पैरो या कूल्हों में कही सर्जरी हुई है तो इसका अभ्यास न करें बल्कि अनुभवी शिक्षक की परामर्श के बाद ही शरू करें।
- अपनी शारीरिक छमता से ज्यादा जोर देकर न करे , जितनी देर तक कर सकते है उतने देर ही करें।
- साइटिका में ये अभ्यास ना करे।
- कमर दर्द में इसे करने से बचे।
- वैरिकोज नस (Varicose veins) की स्थिति में इस योगासन का अभ्यास ना करे।
पद्मासन से पहले करने वाले आसन-
दण्डासन , अर्धपद्मासन , बद्धपद्मासन , उर्ध्वपद्मासन , पिंडासन
पद्मासन(Padmasana) के बाद करने वाले आसन-
पद्मासन का वीडियो – Padmasana video steps in hindi
पद्मासन से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल –
पद्मासन(Padmasana) कितने समय तक करना चाहिए?
शुरुआत में अपने छमतानुसार इसका अभ्यास 1 से 2 मिनट के लिए कर सकते है। इसके बाद आप इसे 30 से 40 मिनट के लिए भी बढ़ा सकते है।
पद्मासन के क्या क्या फायदे होते हैं?
एकाग्रता बढ़ाने व ध्यान केंद्रित करने के लिए यह अच्छा आसन है।
कुछ देर पद्मासन में बैठने पर पैरों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है।
पद्मासन करने से घुटनों और कूल्हों व जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है।
गर्भावस्था में रोज इस आसन के अभ्यास से प्रसव में आसानी हो जाती है।
मासिक घर्म /माहवारी की परेशानियों को कम करता है।
यह जांघो व कूल्हों के पास की जमी चर्बी को घटाता है।
पद्मासन(Padmasana) कब करना चाहिए?
किसी भी योग का अभ्यास सुबह में ही करना चाहिए अगर किसी कारण से सुबह में नहीं कर पाते है तो शाम को भी कर सकते है बस ध्यान यही रखना है की आपने खाना 4 से 5 घंटे पहले ही खाया हो।
पद्मासन(Padmasana) कौन सी मुद्रा कहलाती है?
पदमासन को कमलासन भी कहते हैं क्योंकि इस आसन में बैठने के बाद व्यक्ति की मुद्रा कमल के आकार की हो जाती है। इसलिए इसे कमलासन कहते हैं। ध्यान लगाने के लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण आसन है तथा योगी, ऋषिमुनि भी इसी आसन में बैठकर योग साधना करते रहें हैं।
पद्मासन विधि क्या है?
सबसे पहले दण्डासन में बैठ जाए और स्वाँस अंदर लेते हुए अपनी गर्दन , रीढ़ की हड्डी व कमर को सीधी रखे।
फिर स्वास भरते हुए दाहिनी घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर की जंघा पर रखें तथा यही क्रिया दोहराते हुए फिर बाये पैर को दाहिनी जंघा पर रखे।
दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए किसी भी हस्त मुद्रा को अपना लें। अब आप बिलकुल पद्मासन में है।