प्लाविनी प्राणायाम – Plavini Pranayama in Hindi
संस्कृत भाषा में प्लावन का अर्थ ‘तैरना‘ होता है। प्लाविनी प्राणायाम एक तरह का प्राणायाम के साथ-साथ योग भी है। नियमित इस प्राणायाम के अभ्यास से कोई भी व्यक्ति पानी में कमल के पत्तों की तरह तैर सकता है। इसी कारण इसका नाम प्लाविनी रखा गया। इस प्राणायाम को हर कोई नहीं कर सकता इसके लिए काफी ज्यादा अभ्यास और अनुभव की आवश्यकता होती है।
आमतौर पर सिद्ध व्यक्ति ही इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। इस प्राणायाम का अभ्यास सुखासन या सिद्धासन में बैठकर किया जा सकता है। इसके अभ्यास में अपनी सांस को इच्छा अनुसार रोक कर रखा जाता है इसलिए इस प्राणायाम को केवली या प्लाविनी प्राणायाम भी कहा जाता है।
इस लेख में हम प्लाविनी प्राणायाम करने का तरीका, फायदे और उससे होने वाले सावधानियों के बारे में बता रहे हैं साथ ही साथ प्लाविनी प्राणायाम करते हुए एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसे देखना ना भूलें।
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प्लाविनी प्राणायाम करने का तरीका – Plavini Pranayama Steps in Hindi
- इसका अभ्यास करने के लिए स्वच्छ वातावरण का चुनाव करें और योगा मैट बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- इस बात का ध्यान रखें कि बैठते वक्त आपकी गर्दन, रीढ़ की हड्डी और सिर पूरी तरह से सीधे होने चाहिए मतलब आप जिस भी मुद्रा या आसन में बैठे हो आपका शरीर पूरा सीधा होना चाहिए।
- इसके बाद अपने दोनों नासिका से हवा को तब तक अंदर खीचे जब तक फेफड़े समेत पेट में पूर्ण रुप से हवा ना भर जाए।
- इसके बाद सांस को तब तक रोककर रखें जब तक आपके लिए रोकना संभव हो।
- फिर दोनों नाक से धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें, अर्थात फेफड़ों और पेट की वायु को पूरी तरह से बाहर निकाल दे।
- इस प्रकार एक चक्र पूरा हुआ । इस क्रिया को आप तब तक कर सकते हैं जब तक आपकी इच्छा हो।
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प्लाविनी प्राणायाम के फायदे – Benefits Of Plavini Pranayama in Hindi

- नित्य इसके अभ्यास से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- मन की चंचलता दूर होकर मन शांत और स्थिर होता है। ध्यान लगाकर बैठने वाले व्यक्ति को इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
- यह पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है और कब्ज से संबंधित सभी समस्या को दूर करता है।
- इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से आप पानी में बहुत देर तक बिना हाथ पैर हिलाये तैर सकते हैं।
- प्रतिदिन इस प्राणायाम का अभ्यास करने वालों की उम्र बढ़ती है।
प्लाविनी प्राणायाम के सावधानियां – Precaution Of Plavini Pranayama
किसी भी योग और प्राणायाम को करने से पूर्व उसकी सावधानियों के बारे में जान लेना अति आवश्यक है ताकि किसी दुष्परिणाम का सामना ना करना पड़े।
- इसका अभ्यास सुबह में खाली पेट ही करना चाहिए।
- पेट या छाती में किसी भी प्रकार का दर्द हो तो उस वक्त इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- इस प्राणायाम का अभ्यास हमेशा किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करना चाहिए।
- यदि लीवर से संबंधित कोई समस्या है तो भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
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प्लाविनी प्राणायाम का वीडियो – Plavini Pranayama Video
प्लाविनी प्राणायाम के क्या फायदे हैं?
रोज इसके अभ्यास से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
मन की चंचलता दूर होती है।
यह पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है और कब्ज से संबंधित समस्या भी दूर होती है।
इसके निरंतर अभ्यास से आप पानी में बहुत देर तक बिना हाथ पैर हिलाये तैर सकते हैं।
इस प्राणायाम का अभ्यास करने वालों की उम्र भी बढ़ती है।
प्लाविनी प्राणायाम कैसे करते है ?
सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
इसके बाद अपने दोनों नासिका से हवा को तब तक अंदर खीचे जब तक फेफड़े और पेट में पूर्ण रुप से हवा न भर जाए।
इसके बाद सांस को तब तक रोककर रखें जब तक आपके लिए रोकना संभव हो सके ।
फिर दोनों नाक से धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें, यानि की फेफड़ों और पेट की वायु को पूरी तरह से बाहर निकाल दे।
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