शशांकासन की विधि, शशांकासन के फायदे (Shashankasana in Hindi, Rabbit Pose, Karne ka Tarika)
शशांकासन जिसे अंग्रेजी में रैबिट पोज(Rabbit pose) भी कहा जाता है। शशांकासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है शशांक और आसन। इसमें शशांक का अर्थ, खरगोश और आसन का अर्थ, बैठने की मुद्रा है। इस योग मुद्रा में शरीर की आकृति खरगोश के समान हो जाती है इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं।
आजकल के परिवेश में मानव का स्वभाव चिडचिड़ा हो गया है ऐसे लोगों के लिए शशांक आसन लाभदायक है। इसके अभ्यास से तनाव के साथ साथ हृदय रोग, मधुमेह व दमा रोग भी दूर होते हैं। इस आसन को किसी भी उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं। यह रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करता है और पीठ दर्द से छुटकारा दिलाता है।
इस लेख में शशांकासन कैसे करें, और उसके लाभ तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है जिसे ध्यानपूर्वक पढ़ें-
शशांकासन करने का तरीका | Shashankasana (Rabbit pose) Karne Ka Tarika
- शशांकासन करने के लिए खुले और शुद्ध वातावरण में योगा मैट बिछा ले।
- इसके बाद वज्रासन की मुद्रा में पुनः बैठ जाएं।
- अब सांस को अंदर भरते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। हाथ कान से बिल्कुल सटे होने चाहिए।
- अपने सिर, गर्दन व रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- अब सांस को छोड़ते हुए आगे की तरफ झुके और साथ में अपने हाथों को भी नीचे लाएं।
- इस अवस्था में आपका माथा और हाथ जमीन पर टिका होना चाहिए।
- सांस को सामान्य रूप से लेते हुए छोड़ते रहे और यही शशांकासन की मुद्रा है।
- अपनी सुविधानुसार आप कुछ समय तक इस अवस्था में बनी रहे और सांस लेते और छोड़ते रहे।
- सांस को अंदर भरते हुए माथा और हाथों को ऊपर की ओर लाएं।
- फिर सांस को छोड़ते हुए हाथों को अपने घुटने पर टिका दें।
- शशांकासन का यह एक चक्र पूरा हुआ इस प्रकार आप 5 से 6 बार कर सकते हैं।

Note- वज्रासन की मुद्रा में ना बैठ पाने के कारण आप पद्मासन में भी इसका अभ्यास कर सकते हैं।
शशांकासन के लाभ | Shashankasana Benefits in Hindi
- तनाव को कम करने में- यह मन को शांत करके क्रोध को नियंत्रित करता है। इसके नियमित अभ्यास से क्रोध व भय को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में- इसके अभ्यास से पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिससे वे लचीले और मजबूत बनते हैं।
- क्रोध को शांत करने में- जिनको ज्यादा गुस्सा आता है उनके मन को शांत करके क्रोध को पूर्ण रूप से नियंत्रित करता है।
- याददाश्त बढ़ाने में- दिमाग के हिस्से में खून प्रवाह तेज होता है जिससे यादाश्त की क्षमता बढ़ती है। आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है।
- किडनी में– इसके अभ्यास से किडनी मजबूत होती है और उसके कार्यों को भी तेज कर देता है।
- पेट की मजबूती में- पेट के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है इसलिए उदर मजबूत और पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
- अधिवृक्क को नियंत्रित करने में- यह पीनियल और पीयूष ग्रंथियों के कार्यों को तेज करता है। थायराइड ग्रंथि या भी उत्तेजित होती है। साइटिका दर्द में भी राहत मिलती है।
- वजन कम करने में- पेट की चर्बी को दूर करने में यह मुद्रा काफी फायदेमंद है तथा कब्ज में भी राहत मिलती है।
- यौन रोगों को दूर करने में- यह प्रजनन अंगों को मजबूत करता है जिससे महिलाओं की अविकसित श्रोणि की समस्या को दूर करता है। जिससे महिलाओं के गर्भाशय मजबूत बनते हैं।
- शशांकासन (Shashankasana) से कब्ज़ से होने वाले मलमूत्र संबंधी रोग जैसे बीमारियों से भी मुक्ति मिलता है।

शशांकासन में सावधानियां | Shashankasana me savdhaniya
- उच्च रक्तचाप(High BP) की समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति इसका अभ्यास न करें।
- पीठ दर्द और स्लिप डिस्क की समस्या से परेशान व्यक्ति को नहीं करना चाहिए।
- हर्निया से परेशान व्यक्ति ना करें।
- पेट दर्द, कमर दर्द या सिर में किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित व्यक्ति ना करें।
- चक्कर आने पर इसका अभ्यास न करें।
- गर्भवती महिलाएं शशांकासन का भ्यास न करें।
शशांक आसन(Rabbbit pose) योग करने से पहले करने वाले आसन-
इन सभी आसनों को पहले कर लेने से शशांक योगासन करने में आसानी हो जाती है।
- वज्रासन
- बालासन
- भुजंगासन
- सिद्धासन(Accomplished pose)
- पद्मासन (Padmasana)