शीतली प्राणायाम – Sheetali Pranayama in Hindi
गर्मी में शीतली प्राणायाम को करने के बहुत सारे फायदे मिलते हैं। गर्मी के मौसम में जिसका शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है या उसे शरीर में गर्मी का बहुत ज्यादा एहसास होता है तो वे इस प्राणायाम को करके शरीर मे ठंडक का अनुभव कर सकते हैं।
शीतली शब्द का मतलब है “ठंडा करने वाला”। यानी वह क्रिया जो हमारे शरीर को ठंडक पहुंचाती है और साथ ही साथ शरीर को शांत भी करती है। वैसे शीतली शब्द को मूल रूप से “शीतल” शब्द से लिया गया है जिसका मतलब है ठंडक या सुखदायक।
इस लेख में हम शीतली प्राणायाम करने का तरीका, उससे होने वाले लाभ और सावधानियों के बारे में बता रहे हैं साथ ही साथ शीतली प्राणायाम करते हुए एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसे देखना ना भूलें।
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शीतली प्राणायाम क्या है – What is Sheetali Pranayam in Hindi
शीतली प्राणायाम का उल्लेख विशेष रूप में योग ग्रंथ और घेरंड संहिता में मिलता है। अन्य आसनों का अभ्यास करने के बाद शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। ठंड के दिनों में इसका बहुत ज्यादा अभ्यास करने से बचना चाहिए। इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इस प्राणायाम को करने से व्यक्ति अपने पूरे शरीर में ठंडक का अनुभव करता है। यह प्राणायाम मन के साथ-साथ शरीर को भी शांत करता है। इस प्राणायाम का अभ्यास करने मात्र से ही व्यक्ति युवा और आकर्षक हो जाता है। और इसका रोज अभ्यास करने से प्यास और भूख को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
शीतली प्राणायाम के फायदे – Sheetali Pranayama Benefits in Hindi
वैसे तो शीतली प्राणायाम के बहुत सारे लाभ है लेकिन हम कुछ विशेष लाभ के बारे में नीचे बता रहे हैं।

- यह प्राणायाम हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करके मन और दिमाग को शांत रखता है।
- इसके अभ्यास से शरीर की मांसपेशियां शिथिल होती हैं जिसे मानसिक शांति मिलती है।
- रोजाना इसके अभ्यास से भूख और प्यास को भी नियंत्रित करने की शक्ति मिलती है।
- शरीर की अतिरिक्त गर्मी को दूर करता है जिससे गुस्सा, चिंता और तनाव काफी हद तक कम हो जाता है।
- बढ़े हुए रक्तचाप और उदर की अम्लता को कम करने में कारगर है यह प्राणायाम।
- जिसको भी स्किन से संबंधित परेशानी हो उनको नित्य शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
- रोज इस प्राणायाम को अभ्यास करने से शरीर की विषाक्त पदार्थ खत्म हो जाते हैं जिससे हमारा खून साफ होता है।
- रोज प्रतिदिन सुबह में इसका अभ्यास करने से चेहरे पर रौनक और चमक आती है।
- जो भी व्यक्ति नियमित रूप से इस प्राणायाम का अभ्यास करता है, किसी भी संक्रमण से प्रभावित नहीं होता।
- जिसको भी सुबह उठते वक्त थकान और आलस का महसूस हो उन्हें प्रतिदिन शीतली प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
- जो भी व्यक्ति डिप्रेशन में रहते हैं या जिनको अत्यधिक क्रोध आता है उन्हें इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
- यह आपकी आंखों और शरीर की त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है।
- पित्त दोष के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में काफी फायदेमंद साबित होता है।
शीतली प्राणायाम करने का तरीका – Sheetali Pranayama Steps in Hindi
शीतली प्राणायाम को करने के लिए आप निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं..
- एक योगा मैट बिछाकर आप पद्मासन या किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब अपनी आंखों को बंद कर ले।
- अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखकर घुटनों पर रखें।
- अब अपना मुंह को खोलें और जीभ को बाहर लाएं।
- अब अपनी जीभ को दोनों तरफ से इस तरह मोड़े जैसे की नली का आकार बन जाए।
- अब अपनी जीभ की मदद से सांस को अंदर ले और फेफड़ों को हवा से भर ले।
- अब जालंधर बंध बनाकर रखें और जब तक सांस को रोक कर रख सकते हैं तब तक रोके।
- अब जालंधर बंध को छोड़ दें और धीरे-धीरे नाक से स्वास को छोड़ें।
- ध्यान रहे स्वास लेते समय तेज हवा के साथ ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए।
- इस तरह से शीतली प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ।
शुरुआती दौर में आप इसे 15 से 20 बार अभ्यास कर सकते हैं फिर धीरे-धीरे अभ्यास होने के बाद 15 से 20 मिनट तक भी इसका अभ्यास कर सकते हैं।
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शीतली प्राणायाम में सावधानियां – Sheetali Pranayama Contraindications in Hindi
किसी भी योग और प्राणायाम को करने से पहले उसके सावधानियों के बारे में जान लेना आवश्यक है ताकि होने वाले दुष्परिणाम से बचा जा सके।
- ठंड के मौसम में शीतली प्राणायाम(Sheetali Pranayama) का अभ्यास करने से बचना चाहिए या अभ्यास करना भी है तो कम से कम अभ्यास करें।
- दमा, खांसी या गले में टॉन्सिल की समस्या हो तो इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
- कम रक्तचाप या अत्यधिक बलगम से पीड़ित व्यक्ति को भी इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- शीतली प्राणायाम का अभ्यास विशेष रूप से गर्मियों के मौसम में ही करना चाहिए क्योंकि गर्मियों में शरीर का तापमान काफी बढ़ा हुआ होता है।
- हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी शीतली प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
शीतली प्राणायाम का वीडियो – Sheetali Pranayama Video
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शीतली प्राणायाम से क्या होता है?
शरीर के तापमान को नियंत्रित करके मन और दिमाग को शांत रखता है जिससे गुस्सा, चिंता और तनाव काफी हद तक कम हो जाता है।
इसके अभ्यास शरीर की मांसपेशियां शिथिल होती हैं जिसे मानसिक शांति मिलती है। भूख और प्यास को भी नियंत्रित करने की शक्ति मिलती है।
शीतली प्राणायाम कब करना चाहिए?
शीतली प्राणायाम का अभ्यास हमेशा गर्मियों के दिनों में ही करना चाहिए। क्योंकि गर्मियों में हमारे शरीर का तापमान काफी बढ़ा हुआ होता है, इसे करके हम शरीर के तापमान को नियंत्रण में रख सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम करने से क्या फायदा होता है?
जो भी व्यक्ति डिप्रेशन में रहते हैं या अत्यधिक क्रोध आता है उन्हें इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
आंखों और शरीर की त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है।
पित्त दोष के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में काफी फायदेमंद साबित होता है।
हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करके मन और दिमाग को शांत रखता है।
शीतली प्राणायाम कौन कर सकता है?
हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह प्राणायाम फायदेमंद है और वही कम रक्तचाप से पीड़ित लोगो को नहीं करना चाहिए। यह पित्त दोष और प्लीहा या अन्य संबंधित बीमारियों के विकारों कम करता है। यह पाचन को बढ़ावा देता है। यह आपको भूख और प्यास को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
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