सिद्धासन करने का तरीका और फायदे |Siddhasana Steps and Benefits In Hindi

Siddhasana (Accomplished pose) सभी योगासनों में श्रेष्ठ आसन होता है जो सिद्धियों को प्रदान करने वाला तथा सभी रोगो का नाश करने वाला है।
यह संस्कृत के सिद्ध-आसन से मिलकर बना है जिसमें सिद्ध का शाब्दिक अर्थ शक्ति और पूर्णता है तथा आसन का मतलब बैठना होता है। अर्थात योग की ऐसी क्रिया जिसमे बैठकर सिद्धियों को प्राप्त किया जाये। यह आसन ब्रम्हचर्य का पालन करता है तथा कुण्डिलिनी जागरण में सहायक होता है। इसलिए अधिकतर योगियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है।

इस लेख में सिद्धासन कैसे करें, उससे होने वाले लाभ तथा बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है तथा साथ ही साथ सिद्धासन करते हुए एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसे देखना न भूले।

सिद्धासन करने का तरीका – Siddhasana Steps in Hindi

  1. सबसे पहले अपने पैरों फैलाकर दण्डासन में बैठ जाये और कमर को सीधी रक्खें।
  2. अब बाएं पैर को घुटनों से भीतर की ओर मोड़िये तथा एड़ी को गुदा व अंडकोष (सीवन) के बिच रक्खें।
  3. ऐसा करते समय एड़ी का दबाव सीवन पर पड़ता रहे तथा पैर का तलवा दाएं पैर की जंघा को स्पर्श करता रहे।
  4. अब दाएं पैर को बाएं पैर के उपर क्रॉस करते हुए मोड़े और दोनों पैरों के अंगूठे व तर्जनी एक – दूसरे के विरोधी पैरों के घुटनों के भीतर जोड़ो (पिंडली और जंघाओं ) के बिच फंसा लें।
Siddhasana (Accomplished pose
Siddhasana Steps in Hindi (Accomplished pose)
  1. अब सारे शरीर का भार बाएं पैर की एड़ी और यह गुदा व अंडकोष के बिच सटा रहे, ऐसा प्रयास करें।
  2. सुषुम्ना व गर्दन सीधी रक्खें और टोढ़ी को कंठकूप से सटा लें।
  3. दोनों हाथो को मोड़कर खुली हथेलियाँ एक दूसरे के उपर अपनी गोदी में रक्खें या दोनों हाथों को सीधा करके घुटनों से टीकाकार कोई भी मुद्रा अपना सकते है।
  4. इस आसन को करने पर नाड़ी समूह में कुछ जलन सी प्रतित होती है. इसलिए नितम्बों के नीचे 8 इंच मोटी गद्दी या कपडा तह करके रखना चाहिए।
  5. शुरुवात में कुछ देर के लिए कर सकते है इसके बाद इस अवधि को 10 मिनट तक बढ़ा सकते है।
  6. अब कुछ देर करने के बाद पुनः सामान्य अवस्था में आ जाए।

और भी पढ़े – धनुरासन करने का तरीका और फायदे

सिद्धासन के फायदे – Siddhasana Benefits in Hindi

सिद्धासन के वैसे कई फायदे हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

  1. यह आसन वीर्य रक्षाब्रम्हचर्य के लिए अति उपयोगी है तथा वासना का दमन करता है।
  2. यह ध्यान के लिए उत्तम है जो मन को एकाग्र करने में भूमिका निभाता है।
  3. सिद्धासन स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
  4. इसके रोज अभ्यास से सकारात्मक सोच बढ़ती है।
  5. समस्त नाड़ियो का शुद्धिकरण होता है जिससे मन को एकाग्र करना सरल हो जाता है।
  6. विद्यार्थियों के लिए यह आसन सर्वश्रेठ है क्योकि यह उनकी स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
  7. ये जठराग्नि को प्रदीप्त करता है जिससे पाचन छमता मजबूत बनती है।
  8. सिद्धासन के नियमित अभ्यास से बवासीर पर काबू पाया जा सकता है।
  9. कुण्डिलिनी जागरण में यह आसन सहायक साबित होता है।
  10. यह 72000 नाड़ियों को शुद्ध करता है और गुस्से पर नियंत्रण में करता है।
  11. सिद्धासन, वृक्षासन के रूप में पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और इससे पीठ के दर्द को कम करने में बहुत मदद मिलती है।

सिद्धासन में क्या सावधानी बरतें – Siddhasana Me Kya Savdhani Barte

सिद्धासन(Siddhasana) में बरती जाने वाली सावधानियां इस प्रकार दी गई है..

  • सिद्धासन को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए ।
  • इसका अभ्यास नियमित व निर्धारित समय तक ही करें अन्यथा यह लाभ की जगह हानि भी पहुँचा सकता है।
  • घुटनों में दर्द या पैरों में कोई विकृति होने पर इसका अभ्यास न करें।
  • पैरों में किसी प्रकार की सर्जरी हुई है तो इसका अभ्यास ना ही करें।
  • सायटिका, रीढ़ की हड्डी या गुदा में किसी प्रकार की समस्या हो तो अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • गंभीर बीमारी होने पर भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • डायरिया होने पर ये आसन न करें।

सिद्धासन (Siddhasana) करने से पहले ये आसन करें –

सुखासन (Sukhasana)
बद्ध कोणासन (Baddha Konasana)
ताड़ासन (Tadasana)

सिद्धासन (Siddhasana) करने के बाद ये आसन करें –

बद्ध पद्मासन (Baddha Padmasana / Lotus pose)

शवासन (Shavasana) siddhasana in hindi


सिद्धासन का वीडियो – Siddhasana Video Steps in Hindi

Siddhasana in Hindi

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FAQ

सिद्धासन कैसे किया जाता है?

सबसे पहले दण्डासन में बैठ जाएँ इसके बाद बाएँ पैर को मोड़कर उसकी एड़ी को सीवन के ऊपर रखें तथा दाएँ पैर को मोड़कर उसकी एड़ी को बाएं पैर की एड़ी के ठीक ऊपर रखें। अब सारे शरीर का भार बाएं पैर की एड़ी और यह गुदा व अंडकोष के बिच सटा रहे, ऐसा प्रयास करें।

सिद्धासन करने से क्या लाभ है?

वीर्य रक्षा व ब्रम्हचर्य के लिए उपयोगी है तथा वासना को कम करता है।
सिद्धासन स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और इसके रोज अभ्यास से सकारात्मक सोच बढ़ती है।
विद्यार्थियों के लिए यह आसन अच्छा है क्योकि यह उनकी स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
ये जठराग्नि को प्रदीप्त करता है जिससे पाचन शक्ति मजबूत बनती है।
यह 72000 नाड़ियों को शुद्ध करता है और गुस्से को नियंत्रण में करता है।

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