सिंहासन, फ़ायदे, लाभ, करने का तरीका, विधि (Simhasana steps and Benefits, contraindications Simhasana In Hindi Lion Pose in Hindi)
सिंहासन योग क्या है – Simhasana in Hindi
सिंहासन शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जो दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें पहला शब्द सिंह, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘शेर’ है और दूसरा आसन, जिसका अर्थ बैठने की मुद्रा है। इसको सिंहासन इसलिए कहते हैं क्योंकि बाहर निकली हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर जैसी छवि को दर्शाता है। अंग्रेजी में इसे लायन पोज(Lion pose) भी कहते हैं।
इस आसन का अभ्यास करने के लिए शेर जैसी तीव्र गर्जना की आवश्यकता होती है। इस आसन को करते समय साधक की आकृति बिल्कुल शेर के समान हो जाती है यह काफी आरामदायक आसान है जिसे सामान्य व्यक्ति के साथ रोगी व्यक्ति भी कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में सिंहासन (Simhasana) करने का सही तरीका सिंहासन के फायदे और उससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी के साथ सिंहासन से जुडी वीडियो भी दी गई है|
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सिंहासन करने का तरीका – Simhasana(Lion pose) karne ka tarika
- सिंहासन (Simhasana yoga) करने के लिए सबसे पहले फर्श पर मैट बिछा लें इसके बाद सामने की तरफ पैर फैलाकर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर की जांघ पर रखें। इसके बाद दाएं पैर को भी मोड़कर बाएं पैर की जांघ पर रखें।
- आप बिल्कुल पद्मासन की मुद्रा में बैठे हैं।
- अब आप आगे की तरफ झुके तथा दोनों घुटनों के बल होते हुए अपने हाथों को फर्श पर टिका दें।
- दोनों हाथों को बिल्कुल सीधा रखें।
- अपने मुंह को जितना संभव हो खोलकर जीभ को मुंह से बाहर निकाले।
- इसके बाद नाक से सांस लें।
- सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए गले से सिंह जैसी गर्जना करते हुए आवाज निकालिए।
- इस स्थिति में आप बिल्कुल शेर की भांति दिखाई देंगे और यही सिंहासन की मुद्रा है।
- इस आसन को आप 5 से 6 बार दोहराए या अपनी क्षमतानुसार ज्यादा भी कर सकते हैं।
- अंत में पैरों को सीधा करके प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

Note:- जो लोग पद्मासन की मुद्रा नहीं लगा सकते वे वज्रासन की मुद्रा में भी सिंहासन कर सकते हैं।
सिंहासन के लाभ – Simhasana Benefits in Hindi
- चेहरे की खूबसूरती के लिए:- यह चेहरे की समस्त मांसपेशियों का व्यायाम करता है जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और त्वचा में निखार आता है। इसके अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां भी दूर हो जाती हैं।
- आवाज को मधुर बनाने में:- स्वर शुद्धि भी इस आसन के निरंतर अभ्यास से होती है। यानी अगर आपको अपनी आवाज मधुर बनानी है तो इसका अभ्यास रोजाना करें। अपनी आवाज को मधुर बनाने के लिए संगीतकार इसका अभ्यास करते हैं। यह हकलाने की समस्या में भी लाभकारी है।
- गले की बीमारी में:- यह गले में होने वाली सभी समस्याओं जैसे टॉन्सिल्स को ठीक करता है। गले में होने वाले विभिन्न संक्रमण को भी रोकता है।
- हाथ व पैर के लिए:- इसके अभ्यास से हाथ और पैर मजबूत बनते हैं।
- थायराइड में:- यह आसन गले व फेफड़ों पर अत्यधिक प्रभाव डालता है जिसके परिणामस्वरूप थायराइड की समस्या से बचा जा सकता है।
- गर्दन के लिए:- सिंहासन करने से गले की मांसपेशियों पर खिचाव पड़ता है जिससे गर्दन निरोगी बनता है।
- तनाव कम करने में:- सिंहासन के अभ्यास से चेहरे पर से तनाव कम होता है इसके अलावा आंखों के लिए भी लाभदायक है।
- अस्थमा में:- प्रतिदिन इसके अभ्यास से अस्थमा रोगियों को लाभ मिलता है।
- आंतों की सफाई में:- छोटी आंत, बड़ी आंत व अमाशय की सफाई के लिए लाभदायक है।
- रीढ़ की हड्डी के लिए:- सिंहासन का रोज अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है। शरीर में रक्त का प्रवाह अच्छी तरह से होता है।
- मुंह के लिए:- इसके नियमित अभ्यास से दांत, जीभ व जबड़ा के रोगों से मुक्ति मिलती है।
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सिंहासन करते समय सावधानी – Simhasana(Lion Pose) Karte Samay Savdhaniya
- घुटनों में दर्द है या किसी प्रकार की सर्जरी हुई हो तो इसका अभ्यास ना करें।
- गले या जबड़े में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो नहीं करें।
- पीठ या रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर सिंहासन नहीं करना चाहिए।
- यदि आपको पद्मासन में बैठने से कठिनाई होती है तो इसको आप वज्रासन में भी बैठ कर कर सकते हैं।