Ujjayi Pranayama in Hindi, Ujjayi Pranayama steps in Hindi, Ujjayi Pranayama benefits in Hindi, Ujjayi Aasan & Ujjayi Pranayama precautions in Hindi (उज्जायी प्राणायाम करने के तरीका, फायदे, सावधानियां )
Ujjayi Pranayama in Hindi / Ujjayi Aasan –
उज्जायी संस्कृत का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है विजयी या जीतने वाला। यह दो शब्दों से बना है: “जी” और “उद्”। जहां जी का अर्थ है ‘जितना’ या ‘लड़कर प्राप्त करना’ और उद् अर्थ है ‘बंधन’। कहने का तात्पर्य है कि इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जा सकता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में शुद्ध वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है।
इस आर्टिकल में उज्जायी प्राणायाम करने के तरीके, फायदे और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है। और साथ ही उज्जायी प्राणायाम का वीडियो भी दिया गया है जिसे आप देख कर सभी स्टैप्स को देख सकते है।
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उज्जायी प्राणायाम के फायदे – Ujjayi Pranayama Benefits in Hindi
- गले में टांसिल की समस्या हकलाना व तुतलाना यह सभी इसके अभ्यास से ठीक हो जाते हैं।
- रोज इसके अभ्यास से कफ रोग, गैस की समस्या और पेट से संबंधित विभिन्न रोग दूर होते हैं। इसके अभ्यास से पेट साफ रहता है जिससे पेट से संबंधित कोई रोग नहीं होते।
- खर्राटों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह प्राणायाम रामबाण है।
- दमा और TB से पीड़ित व्यक्तियों को फायदा होता है।
- उज्जाई प्राणायाम के अभ्यास से शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं जिससे चेहरे पर कील मुंहासे नहीं आते।
- श्वास व साइनस (नाक का रोग), आधे सिर में दर्द जैसी समस्याएं ठीक होने लगती है।
- यह अनिद्रा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए काफी फायदेमंद है।
- उज्जाई प्राणायाम का अभ्यास मस्तिष्क से गर्मी दूर कर इसे ठंडक पहुंचाता है।
- इसके अभ्यास से नाडी संबंधित रोग दूर होते हैं और ऊर्जा के प्रवाह में मदद मिलती है।
- थायराइड से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह परिणाम रामबाण है।
- शास्त्रों में कहा गया है कि यह प्राणायाम बहुत लंबे समय तक आपको जवां रखता है।
- जिस व्यक्ति को हमेशा बलगम, अपच, पेचिश, लीवर की परेशानी, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं होती है उन्हें इस प्राणायाम ( Ujjayi Aasan) का अभ्यास करना चाहिए।
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उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका – Ujjayi Pranayama steps in Hindi.
- सबसे पहले किसी स्वच्छ और हवादार स्थान पर चटाई बिछाकर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाए।
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए दोनों नासिका से धीरे-धीरे श्वास लें जब तक फेफड़े पूरी तरह हवा से ना भर जाए।
- सांस लेते समय अपने कंठ द्वार को संकुचित करें और महसूस करें कि हवा आपके गले से आ जा रही है। ऐसा करने पर आपके गले से सांस आने और जाने पर धीमी सी हल्की आवाज आनी चाहिए।
- ध्यान रहे सांस लंबी और गहरी होनी चाहिए।
- ऊपर बताए गए तरीके से बाएं और दाएं दोनों नसिकाओ से सांस लेना है।
- इस तरह से उज्जायि प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है।
- इस क्रिया को आप 10 से 15 मिनट तक कर सकते हैं।
- अगर आपको बैठने में परेशानी हो रही हो तो उज्जाई प्राणायाम को लेट कर या खड़े होकर भी कर सकते हैं।
- उज्जायी प्राणायाम को लेट कर करने की विधि-
- सबसे पहले किसी स्वच्छ और हवादार स्थान पर चटाई बिछाकर लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को आपस में सटाकर रखें।
- अब धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लेना शुरू करें और गले को थोड़ा संकुचित करें
- सांस को जितना देर हो सके अपने फेफड़ों में भरकर रखें।
- आप अपने शरीर को ढीला छोड़कर सांस को धीरे-धीरे बाहर निकाले।
- इस क्रिया को 8 से 10 बार दोहराएं।
उज्जायी प्राणायाम की सावधानियां – Ujjayi Pranayama Precautions in Hindi
- जिनको थायराइड की बहुत अधिक समस्या हो या जिनका थायराइड(1) बहुत ज्यादा बढ़ गया हो तो उन्हें इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर अभ्यास करना हो तो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।
- अगर आपको हाई बीपी और हृदय रोग की समस्या हो तो इस प्राणायाम को बिना सांस रोक कर भी अभ्यास कर सकते है।
- सिर दर्द और चक्कर आने पर इस प्राणायाम ( Ujjayi Aasan) का अभ्यास ना करें।
- ज्यादा जोर लगाकर गले से आवाज ना निकाले अन्यथा गले में खराश हो जाएगी।