(आसन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, योग करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, Yogasan se Purva Savdhaniya, Precautions Before Doing Yoga)
योगासन करते समय ध्यान देने वाली मुख्य बातें – Yogasan Se Purva Savdhaniya
योगासनों (Yogasan) को करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें जान लेना आवश्यक है जिससे कि अभ्यास करने के वक्त अधिक से अधिक लाभ मिल सके और किसी अज्ञानवश होने वाली भूल के कारण किसी दुष्परिणाम का शिकार ना बनना पड़े।
- योगा करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के आधा एक घंटा बाद तक का है।
- सुबह उठने के बाद शौच क्रिया व स्नान से निवृत होने के बाद ही योगा का अभ्यास शुरू करना चाहिए।
- सुबह किसी कारण समय ना मिल पाने के कारण आप योग का अभ्यास शाम के वक्त भी कर सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के समय से सूर्यास्त के बाद 1 घंटे तक का समय उपयुक्त होता है।
- भोजन करने के बाद योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। भोजन करने के 3 से 4 घंटे बाद या भोजन करने से एक से डेढ़ घंटा पहले योगासन करें। सुबह खाली पेट योग आसन का अभ्यास करना सर्वश्रेष्ठ है।
- योगासन का अभ्यास कभी भी जल्दबाजी में ना करें जब आपके पास आधा से 1 घंटे का समय खाली हो तभी योगासन करें। ऐसा नहीं कि 5 से 10 मिनट में सभी योगासनों को निपटाने का प्रयास करें। प्रत्येक योगासन को पूरा समय देकर अभ्यास करें तभी उस योगासन का लाभ मिलेगा।
- अभ्यास शुरू करने से पहले चश्मा, घड़ी या अन्य आभूषण आदि उतार देने चाहिए।
- वैसे तो योग आसन का अभ्यास स्नान करने से पूर्व करना चाहिए लेकिन किसी कारणवश योगासन करने के बाद स्नान करना हो तो इस बात का ध्यान रखें कि आसन समाप्त करने के कम से कम आधा घंटा बाद ही स्नान करें।
- किसी भी योगासन को अपनी क्षमता अनुसार ही करें। किसी भी आसन को जल्दबाजी या जबरदस्ती करने में आपके लिए यह हानिकारक साबित हो सकता है।
- आसन का अभ्यास कंबल, दरी या कालीन बिछा कर करना चाहिए, चारपाई पलंग या बिस्तर पर कभी नहीं करना चाहिए।
- किसी आसन का अभ्यास करते वक्त कम से कम वस्त्र पहने और जो वस्त्र पहने वह ढीले ढाले होनी चाहिए ताकि अभ्यास करते वक्त किसी प्रकार का रुकावट ना आए।
- किसी खुले हवादार, छायादार और समतल स्थान पर ही योगाभ्यास करें। नंगी भूमि, नंगे फर्श या गद्दे आदि पर अभ्यास ना करें।
- योग और प्राणायाम का अभ्यास करते वक्त बोले या हसे नहीं। सांस लेने और छोड़ने की क्रिया को आसनों में दिए गए निर्देशानुसार ही करें।
- शोरगुल वाली जगह पर योग आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए इससे ध्यान भटकता है। हमेशा एकांत जगह का चुनाव करें इसे एकाग्रता में सहायता मिलती है और योगासन का अधिक से अधिक लाभ मिलता है।
- जो आसन स्त्रियों के लिए वर्जित है उन्हें वह बिल्कुल ना करें। गर्भावस्था और मासिक धर्म की स्थिति में भी आसनों को ना करें।
- प्रत्येक आसन करने के पश्चात शवासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इससे शरीर की मांसपेशियों को रिलैक्स मिलता है।
- आसनों को करते समय उनका क्रम इस प्रकार रखें कि वह एक दूसरे के विपरीत प्रभाव वाले हो। जैसे मान लेते हैं कि आप आगे झुकने वाले आसन कर रहे हैं इसके पश्चात पीछे झुकने वाले आसन भी करें। इस प्रकार करने से अभ्यास में संतुलन रहता है। इसी प्रकार शीर्षासन( सिर के बल खड़े होना) करने के बाद कुछ समय तक खड़े रहना चाहिए अथवा ताड़ासन का अभ्यास करना चाहिए ताकि खून का दौरा जो सिर की तरफ हुआ था पुनः पैरों की ओर हो जाए। ऐसा ना करने से सिर में भारीपन सिर दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
- किसी भी आसन का शुरुआत करने से पहले सूक्ष्म व्यायाम का अभ्यास जरूर करें।
- भोजन करने के पश्चात केवल वज्रासन का ही अभ्यास किया जा सकता है अन्य सभी आसन भोजन के पश्चात नहीं करना चाहिए।
- यदि किसी अंग का ऑपरेशन हुआ है तो उस अंग को प्रभावित करने वाले आसन को कम से कम 6 महीने तक नहीं करने चाहिए।
- प्राणायाम व ध्यान की क्रिया करते समय हमेशा रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
- यदि किसी आसन का अभ्यास करते वक्त किसी भी अंग में पीड़ा हो रही हो तो उस आसन का अभ्यास बंद कर योग प्रशिक्षक के सलाह के पश्चात ही करना चाहिए।
- योगासनों से 5 से 10 मिनट पहले एक लोटा या दो ग्लास पानी पी ले जिससे यह पानी आंतो में घूमता हुआ नीचे पहुंच जाता है और कब्ज की शिकायत वालों को विशेष लाभ होता है और पेट साफ हो जाता है। बहुत समय से कब्ज से पीड़ित लोगों को पानी में नींबू का रस मिला लेना चाहिए। यदि सर्दियां हो तो पानी को हल्का गुनगुना करके पीना चाहिए।
- जो लोग हर्निया, बीपी, टीवी, पेट में छाले या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो तो इन आसनों का अभ्यास करने से पूर्व किसी योग प्रशिक्षक से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- योगासनों को करते वक्त उन्हें क्रम में करना चाहिए जैसे कि पहले सूक्ष्म व्यायाम फिर आसान और इसके पश्चात प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।

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नोट:-
एक योग साधक को नशा और मांसाहार बिलकुल छोड़ देना चाहिए और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। योग का विशेष लाभ लेने के लिए मांसाहार और नशा त्याग देना जरूरी है।
शाकाहार पाचन की दृष्टि से, संस्कारों की दृष्टि से, विचारों के दृष्टि से, धर्म की दृष्टि से, नैतिकता की दृष्टि से और मानवता की दृष्टि से हर प्रकार से मांसाहार से श्रेष्ठ है। विज्ञान भी मानता है कि मांस को पकाने और पचाने में बहुत समय लगता है। मनुष्य के दांतो और आंतों की बनावट भी शाकाहारी पशुओं के समान है मांसाहारी के समान नहीं। इसलिए मांसाहार मनुष्य के लिए उचित नहीं है।
विज्ञान हो या धर्म किसी भी परिस्थिति में मांसाहार को उचित नहीं माना जा सकता। हां इतना जरूर कहूंगा कि योगासन का पूर्ण लाभ शाकाहारी ही ले सकते हैं, मांसाहारी अपेक्षाकृत कम लाभान्वित होंगे।
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